पंजाब में राज्यपाल के मुख्य सचिव और डीजीपी को तलब करने पर छिड़ा विवाद, कांग्रेस-भाजपा आमने-सामने

चंडीगढ़। पंजाब में कानून-व्‍यवस्‍था की हालत और भाजपा नेताओं पर हमले के मामले में राज्यपाल वीपी सिंह बदनौर द्वारा मुख्‍य सचिव विनी महाजन और डीजीपी दिनकर गुप्ता को तलब करने ने सियासी रंग ले लिया है। पूरे मामले पर विवाद छिड़ गया है और सवाल उठाए जा रहे हैं कि क्या राज्यपाल ऐसा कर सकते हैं। बता दें कि पंजाब में किसान आंदोलन की आड़ में एक कंपनी के मोबाइल टावरों को नुकसान पहुंचाया जा रहा है और उनकी बिजली काटी जा रही है। भाजपा नेताओं और उनके घरों पर भी हमले हो रहे हैं। इसी कारण राज्‍यपाल ने दोनों अधिकारियों को बुलाया है।

कांग्रेस ने कहा- प्रदेश में सरकार है तो राज्यपाल डीजीपी और चीफ सेक्रेटरी को नहीं कर सकते तलब

बता दें कि भाजपा नेताओं ने इस मामले में राज्यपाल वीपी सिंह बदनौर से मुलाकात की थी। इसके बाद राज्‍यपाल बदनौर ने एक आदेश जारी करके दोनों सीनियर अधिकारियों को तलब कर लिया। आदेश मेें हालांकि वे किस दिन उनके सामने पेश होंगे, इसका ब्यौरा नहीं दिया गया। चार दिन बाद भी न तो चीफ सेक्रेटरी और न ही डीजीपी ने राज्यपाल से मुलाकात की है। इसके साथ ही राज्यपाल के आदेश से राजनीतिक हलकों में विवाद जरूर छिड़ गया है।

कांग्रेस के प्रदेश प्रधान सुनील जाखड़ ने कहा कि कांग्रेस संवैधानिक पदों की स्वायत्तता की समर्थक रही है पर राज्यपाल द्वारा प्रदेश के अधिकार क्षेत्र में बिना वजह दखल स्वीकार नहीं है। उन्होंने कहा कि पंजाब न तो पश्चिम बंगाल है और न ही पुडुचेरी जहां राज्यपाल स्थानीय राजनीति में शामिल हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि संविधान के उल्ट जा कर की जा रही ऐसी कार्रवाई का विरोध किया जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश में चुनी हुई सरकार मौजूद है।

दूसरी ओर, भाजपा नेता और पूर्व मंत्री मनोरंजन कालिया ने कहा कि राज्यपाल ऐसा कर सकते हैं। भाजपा के महासचिव तरुण चुग ने कहा कि अगर सरकार देखकर अनदेखा कर रही हो तो संवैधानिक पदों पर बैठे व्यक्तियों को चीफ सेक्रेटरी और डीजीपी से रिपोर्ट लेने का पूरा अधिकार है।

सुप्रीम कोर्ट में एडिश्नल सॉलिस्टर जनरल रहे मोहन जैन का कहना है कि संवैधानिक तौर पर राज्यपाल राज्य का मुखिया होता है और वह कानून व्यवस्था को लेकर मुख्य सचिव व पुलिस महानिदेशक को तलब कर दिशा निर्देश दे सकते हैं। वह इस बारे में कानूनी अधिकार रखते हैं, लेकिन आमतौर पर राज्यपाल इस तरह के अधिकार का प्रयोग नहीं करते और वह अपनी बात मुख्यमंत्री के माध्यम से लागू करवाते हैं। अब देखना है कि राज्यपाल चीफ सेक्रेटरी और डीजीपी को कब तलब करे हैं और करते भी हैं कि नहीं। लेकिन तब तक सत्तारूढ़ पार्टी और विपक्ष में इस तरह की बयानबाजी होती रहेगी।

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