कोरोना वैक्सीन को लेकर चीन की ओर मुंह ताक रहा पाकिस्तान, भारत ने मारी बाजी
इस्लामाबाद। भारत में 16 जनवरी से कोरोना वैक्सीन का कार्यक्रम पूरे देश में युद्ध स्तर पर शुरू हो गया है। वहीं पाकिस्तान समेत दक्षिण एशिया के कई मुल्कों में अभी इस कार्यक्रम की शुरुआत नहीं हो सकी है। कोरोना वैक्सीन के मामले में पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान चीन की कंपनी साइनोफार्म पर निर्भर है। हालांकि, साइनोफार्म द्वारा बनाई गई सिनोवैक ट्रायल पर है। इस वैक्सीन के ट्रायल के तीन चरण पूरे हो चुके हैं। यह उम्मीद की जा रही है फरवरी के मध्य तक साइनोफार्म से वैक्सीन की पहली खेप पहुंच जाएगी। आइए जानते हैं कि पाकिस्तान के इस दावे की सच्चाई क्या है। हथियारों को लेकर भारत से होड़ रखने वाले इस मुल्क की वैक्सीन को लेकर क्या है तैयारी और उसकी हकीकत। यहां भी चीन के मकरजाल में कैसे फंसा पाकिस्तान।
आर्थिक हालत बनी बड़ी चुनौती
पाकिस्तान के कार्यवाहक स्वास्थ्य मंत्री फैसल सुल्तान का कहना है कि इस फरवरी के मध्य तक चीन से वैक्सीन आएगी। उन्होंने कहा कि पहले चरण में स्वास्थ्य कर्मियों, फ्रंटलाइन वर्कर्स के साथ वरिष्ठ नागरिकों को इसकी डोज दी जाएगी। लेकिन एक बड़ा सवाल यह है कि पाकिस्तान के आर्थिक हालत को देखते हुए क्या सबको वैक्सीन की डोज मिल पाएगी। इसकी एक अन्य बड़ी वजह यह भी है कि वैक्सीन के मामले में पाकिस्तान चीन पर निर्भर है। चीन की यह वैक्सीन अभी ट्रायल के स्तर पर ही है।
देश की आबादी का सिर्फ 0.2 फीसद हिस्सा को मिल पाएगी वैक्सीन
पाकिस्तान का कहना है कि रूस और चीन की वैक्सीन के अलावा बाईओएनटेक, फाइजर और मॉडर्ना की वैक्सीन हासिल करने की कोशिश कर रहा है। पाकिस्तान ने कोविड-19 की वैक्सीन के लिए 150 अरब डालर आवंटित किए हैं। इस राशि से 10 लाख से ज्यादा डोज ही खरीदा जा सकता है। बड़ा सवाल यह है कि क्या इस डोज से पाकिस्तान में सभी को वैक्सीन दिया जा सकता है। बड़ा सवाल यह है कि अगर यह खेप पाकिस्तान पहुंच भी जाती है तो इससे देश की आबादी का सिर्फ 0.2 फीसद हिस्सा को मिल पाएगी। पाकिस्तान को पूरे देश को वैक्सीन देने के लिए काफी रकम की रूररत होगी।
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