पहेली बने खुद को जिंदा साबित करने की जंग लड़ रहे मीरजापुर के भोला सिंह, अब होगा DNA टेस्ट
मीरजापुर। पिछले 15 वर्षाें से खुद को जिंदा साबित करने की जंग लड़ रहे उत्तर प्रदेश के मीरजापुर जिले में विकास खंड सिटी स्थित अमोई गांव के रहने वाले भोला सिंह का मामला मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दरबार में पहुंचते ही जिला प्रशासन सक्रिय हो गया है। हालांकि मामला सुलझने के बजाय उलझता नजर आ रहा है। एडीएम यूपी सिंह के अनुसार जांच टीम भोला को लेकर अमोई पहुंची, लेकिन वहां भोला सिंह को उनके भाई राजनारायण ने पहचाने से ही इनकार दिया। अब सच्चाई का पता लगाने के लिए प्रशासन राजनारायण और श्यामनारायण उर्फ भोला का डीएनए टेस्ट कराएगा।
मीरजापुर के भोला सिंह प्रकरण की जांच एसडीएम सदर गौरव श्रीवास्तव और तहसीलदार सदर संयुक्त रूप से कर रहे हैैं। सोमवार को वे भोला को लेकर अमोई गांव गए। वहां न तो भोला को गांव वाले पहचान पाए और न ही भोला किसी गांव वाले का नाम बता पाया। उसने बताया कि वह लालगंज के खेमर रामपुर में रहता है। इसके बाद जांच टीम उसे वहां ले गई। खेमर रामपुर में पता चला कि यह भोला की ससुराल है। इतना ही नहीं, उसका नाम भोला नहीं श्यामनारायण पुत्र बसंत लाल है।
श्यामनारायण का मूल गांव कोहड़ तहसील लालगंज में है। अब जांच टीम उसे लेकर कोहड़ गांव पहुंची। वहां भी उन्हें भोला के नाम से कोई नहीं जानता है। उनका नाम श्यामनारायण ही बताया गया। वह अपने भाई रामनरेश व पिता बसंत लाल के साथ रहते थे। भाई रामनरेश की मौत हो चुकी है। रामनरेश को 15 बीघा भूमि नेवासा में मिली थी, जिसे उनका बेटा बेच चुका है। बाद में रामरनेश की पत्नी ने श्यामनारायण के साथ खेमर रामपुर में रहने लगी। दोनों के चार बच्चे भी हुए।
56 वर्षीय भोला सिंह के अनुसार वह सदर तहसील के अमोई गांव के रहने वाले हैं। राजनारायण उनका छोटा भाई है। 24 दिसंबर, 1999 में राजस्व निरीक्षक और लेखपाल ने अपनी रिपोर्ट में मुझे मृत दिखाकर मेरे भाई राजनारायण का नाम खतौनी में चढ़ा दिया था। इसके बाद राजनारायण ने जमीन पर कब्जा कर लिया और 27 बिस्वा में से 10 बिस्वा भूमि बेच दी। इसका विरोध करने पर भाई ने कहा कि जमीन मेरी है।
अपर जिलाधिकारी, वित्त एवं राजस्व यूपी सिंह का कहना है कि तथाकथित भोला की श्यामनरायण के रूप में पहचान हुई है। फिर भी राजनरायण व श्यामनारायण सगे भाई है या नहीं, इसकी पुष्टि करने के लिए दोनों का डीएनए टेस्ट कराया जाएगा।
बता दें कि मीरजापर में पिछले 15 वर्षों से खुद को जीवित साबित करने के मामले को मुख्यमंत्री योगी ने गंभीरता से लिया है। मामले में उन्होंने डीएम को जांच कर एक सप्ताह के अंदर कार्रवाई की रिपोर्ट भेजने का निर्देश दिया है। कहा है कि अगर भोला जीवित हैं तो उसके नाम को खतौनी में दर्ज किया जाए। भोला सिंह ने शासन को पत्र भेजकर गुहार लगाई थी।
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