विकास दुबे कांड : मुखबिरी के आरोपी गिरफ्तार सब इंस्पेक्टर ने खटखटाया सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा
नई दिल्ली। विकास दुबे मामले में तीन जुलाई को आठ पुलिस वालों की हत्या में मुखबिरी के आरोप में गिरफ़्तार सब इंस्पेक्टर केके शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। शर्मा ने अपनी जान को खतरे बताते सुरक्षा दिए जाने की मांग की है। साथ ही तीन जुलाई की मुठभेड़ मामले की जांच सीबीआई को सौंपे जाने की गुहार लगाई है। बता दें कि दो-तीन जुलाई की दम्यानी रात को तड़के कानपुर में विकास दुबे के आवास पर दबिश देने गई पुलिस टीम पर किए गए अप्रत्याशित हमले में आठ पुलिसकर्मियों की मौत हो गई थी।
मामले का मुख्य आरोपी विकास दुबे गुरुवार को उज्जैन के महाकाल मंदिर परिसर से गिरफ्तार किया गया था। दूसरे दिन शुक्रवार की सुबह यूपी पुलिस द्वारा कानपुर लाए जाने के दौरान हुए कथित एनकाउंटर में उसकी मौत हो गई थी। हालांकि विकास दुबे की मौत सेपहले ही उसके एनकाउंटर की आशंका जताते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका भी दाखिल की गई थी। याचिका में उसके पांच सहयोगियों की यूपी पुलिस के साथ मुठभेड़ में मौत की जांच के आदेश देने की मांग की गई थी। याचिकाकर्ता ने भी मामले की सीबीआइ से जांच कराए जानें की मांग की थी।
वकील और याचिकाकर्ता घनश्याम उपाध्याय ने मामले में तत्काल सुनवाई की मांग करते हुए गुरुवार को उक्त याचिका दाखिल की थी। याचिका में कहा गया था कि आरोपी को अपराध सिद्ध होने के बाद दंडित करना, सक्षम न्यायालय का काम है। पुलिस के पास अपराध सिद्ध होने से पहले मुठभेड़ के नाम पर आरोपी को मारकर उसे दंडित करने का कोई भी अधिकार नहीं है। यही नहीं याचिकाकर्ता ने शीर्ष अदालत से विकास दुबे के घर, शॉपिंग मॉल एवं गाडियां तोड़ने के मामले में भी एफआइआर दर्ज किए जाने का निर्देश देने की गुजारिश की थी।
मुठभेड़ के दौरान मुखबिरी के जरिए पुलिस टीम की जान जोखिम में डालने के आरोप में थाना प्रभारी विनय तिवारी और हिस्ट्रीशीटर के लिए कथित मुखबिरी करने में हलका प्रभारी केके शर्मा को निलंबित किया जा चुका है। विकास से संबंधों के शक में चौबेपुर के पूरे थाने पर कार्रवाई हुई है। कुल 68 पुलिस कर्मियों को लाइन हाजिर किया जा चुका है। सूत्रों की मानें तो कई और पुलिसकर्मी रडार पर हैं। बताया जाता है कि बिल्हौर सर्किल के चौबेपुर, शिवराजपुर, बिल्हौर, ककवन थाने और कानपुर देहात के शिवली थाने के करीब 200 पुलिसकर्मियों के मोबाइल नंबर अभी भी सर्विलांस पर रखे गए हैं।
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