सरकारी बैंकों की संख्या 12 से पांच करने की तैयारी, कुछ सरकारी बैंकों के निजीकरण की दिशा में बढ़ाया जा सकता है कदम
नई दिल्ली। देश में सरकारी बैंकों की संख्या को 12 से पांच पर लाने की तैयारी चल रही है। इस दिशा में पहले चरण में बैंक ऑफ इंडिया, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, इंडियन ओवरसीज बैंक, यूको बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र और पंजाब एंड सिंध बैंक में सरकार की हिस्सेदारी बेचने का कदम उठाया जा सकता है। सरकार एवं बैंकिंग सेक्टर से जुड़े सूत्रों ने यह जानकारी दी है।
सूत्रों के मुताबिक, सरकार का विचार है कि देश में चार से पांच सरकारी बैंक ही होने चाहिए। एक अधिकारी ने बताया कि सरकार निजीकरण को लेकर नया प्रस्ताव बना रही है। इस प्रस्ताव में बैंकों की संख्या कम करने की योजना होगी। इसे पहले मंत्रिमंडल के समक्ष रखा जाएगा। वित्त मंत्रालय ने इस संबंध में टिप्पणी नहीं की है
सूत्रों का कहना है कि आर्थिक गतिविधियां सुस्त पड़ने के कारण देश इस समय फंड की कमी से जूझ रहा है। ऐसे में सरकार नॉन कोर कंपनियों और सेक्टर में परिसंपत्तियां बेचकर पैसे जुटाने के लिए निजीकरण की योजना पर काम कर रही है। कई सरकारी समितियों और रिजर्व बैंक का कहना है कि देश में पांच से ज्यादा सरकारी बैंक नहीं होने चाहिए। दूसरी ओर, सरकार कह चुकी है कि अब सरकारी बैंकों में और कोई विलय नहीं होगा। ऐसे में कुछ सरकारी बैंकों में हिस्सेदारी बेचने का ही विकल्प रह जाता है।
सरकार ने पिछले साल 10 सरकारी बैंकों का विलय कर चार बड़े बैंक बनाने का फैसला लिया था। एक अधिकारी ने बताया कि अब सरकार ऐसे बैंकों की हिस्सेदारी निजी क्षेत्रों को बेचने की तैयारी कर रही है, जिनका विलय नहीं किया गया है। बैंकों के निजीकरण की सरकार की यह योजना ऐसे समय में सामने आ रही है, जबकि कोरोना महामारी के कारण बैंकों का एनपीए बढ़ने की आशंका है। सूत्रों का यह कहना है कि मौजूदा हालात को देखते हुए संभवत: इस वित्त वर्ष में बैंकों के निजीकरण की दिशा में कदम नहीं बढ़ाया जाएगा। मौजूदा संकट के कारण अर्थव्यवस्था में ठहराव है, जिससे बैंकों का एनपीए दोगुना होने का अनुमान है।
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