स्पीकर सीपी जोशी ने सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका वापस ली

जयपुर। राजस्थान में जारी सियासी घमासान के बीच राज्य विधानसभा के स्पीकर सीपी जोशी ने सुप्रीम कोर्ट से अपनी याचिका वापस ले ली है। मामले में आज सुनवाई शुरू होते ही स्पीकर की ओर से याचिका वापस लेने की इजाजत मांगी गई। स्पीकर की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कोर्ट से कहा कि वो याचिका वापस लेना चाहते हैं, क्योंकि हाईकोर्ट ने फैसला सुना दिया है और उनकी याचिका निष्प्रभावी हो चुकी है। उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट ने शुक्रवार को 32 पेज का आदेश जारी किया है। इसे लेकर वे आगे की रणनीति तय करेंगे। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट की ओर से याचिका वापस लेने की इजाजत दे दी गई।

गौरतलब है कि जोशी ने राजस्थान हाईकोर्ट के 21 जुलाई के आदेश को चुनौती दी थी। हाई कोर्ट ने उनको 24 जुलाई तक बागी विधायकों के खिलाफ कार्यवाही पर रोक लगाने का आदेश दिया था। इससे पहले उनकी याचिका पर 23 जुलाई को सुनवाई हुई थी। कोर्ट ने इस दौरान हाई कोर्ट को फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था।

असहमति का स्वर लोकतंत्र में इस तरह नहीं दबाया जा सकता

23 जुलाई को सुनवाई के दौरान मामले में स्पीकर द्वारा बागी विधायकों को नोटिस भेजे जाने पर टिप्पणी करते हुए अदालत ने कहा था कि यह कोई सामान्य मामला नहीं है। ये विधायक भी चुने हुए प्रतिनिधि हैं। असहमति का स्वर लोकतंत्र में इस तरह नहीं दबाया जा सकता। अदालत देखेगी कि अयोग्य ठहराने की  प्रक्रिया की इजाजत है कि नहीं। सुनवाई के दौरान स्पीकर की ओर से पेश वकील कपिल सिब्बल ने संविधान पीठ के किहोतो होलां फैसले का हवाला देते हुए कहा था कि दसवीं अनुसूची के तहत की गई स्पीकर की कार्यवाही में हाई कोर्ट को दखल देने का अधिकार नहीं है।

क्या है मामला

बता दें कि सचिन पायलट समेत 19 बागी विधायकों को कांग्रेस विधायक दल की बैठक में शामिल न होने पर स्पीकर सीपी जोशी ने उन्हें अयोग्यता नोटिस जारी किया था। इसके खिलाफ 16 जुलाई को बागी विधायक राजस्थान हाई कोर्ट पहुंच गए थे। मामले में 17 जुलाई को हाई कोर्ट के सिंगल बेंच ने सुनवाई की और मामला दो जजों की बेंच में भेजा। बेंच ने 18 जुलाई को सुनवाई तय की। 20 और 21 जुलाई को सुनवाई के बाद कोर्ट ने फैसला 24 जुलाई के लिए सुरक्षित रख लिया और स्पीकर को तब तक नोटिस पर कार्रवाई न करने का आदेश दिया। 24 जुलाई को हाई कोर्ट ने पायलट गुट को राहत देते हुए स्पीकर के आयोग्यता नोटिस पर यथास्थिति रखने का आदेश दिया था।

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