उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू बोले, मूल रूप से धर्मनिरपेक्ष थे भगवान राम के विचार
नई दिल्ली। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के भूमि पूजन से पहले उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा कि इस ऐतिहासिक कार्यक्रम के जरिए देश अपने अतीत के गौरव को वापस ला रहा है। इतना ही नहीं, वह अपने लोगों द्वारा पोषित मूल्यों को भी स्थापित कर रहा है। उपराष्ट्रपति ने रविवार को ‘मंदिर का पुनíनर्माण, मूल्यों की स्थापना’ विषय पर एक सोशल मीडिया पोस्ट में वैदिक विद्वान ऑर्थर एंथनी मैकडोनेल को उद्धृत करते हुए कहा कि राम के विचार, जैसा भारतीय ग्रंथों में बताया गया है, मूल रूप से धर्मनिरपेक्ष हैं। लोगों के जीवन और विचारों पर कम से कम ढाई सहस्राब्दी तक उनका गहरा प्रभाव रहा है।
नायडू ने राम राज्य की चर्चा करते हुए कहा कि इसका इस्तेमाल राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने अच्छी तरह से शासित राज्य को परिभाषित करने के लिए किया। उन्होंने कहा कि यह लोक-केंद्रित लोकतांत्रिक शासन पर आधारित है जो सहानुभूति, समावेशी, शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व और जीवन की बेहतर गुणवत्ता के लिए निरंतर खोज के मूल्यों पर आधारित है।
राम भारतीय संस्कृति के एक अवतार
उपराष्ट्रपति ने कहा, मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन ऐसी घटना है जो हममें से अधिकतर को हमारी शानदार सांस्कृतिक विरासत से जोड़ती है। यह वास्तव में एक स्वाभाविक उत्सव का क्षण है, क्योंकि हम अतीत के गौरव को वापस ला रहे हैं और अपने मूल्यों को स्थापित कर रहे हैं। भगवान राम को भारतीय संस्कृति के एक अवतार के रूप में परिभाषित करते हुए नायडू ने कहा कि वह एक आदर्श राजा थे, एक आदर्श इंसान थे। अयोध्या के राजा के रूप में उन्होंने सत्य, शांति, सहयोग, करुणा, न्याय, समावेश, भक्ति, त्याग तथा सहानुभूति जैसे मूल्यों को अपनाया। यही भारतीय विश्व दृष्टिकोण का मूल है।