विधायक खरीद-फरोख्त व सरकार गिराने के मामले में एसओजी ने कोर्ट में कहा-यह राजद्रोह का केस नहीं है
जयपुर। राजस्थान के सियासी संकट के बीच राजस्थान सरकार ने मंगलवार को बड़ा निर्णय लेते हुए विधायकों की खरीद-फरोख्त और सरकार गिराने की साजिश मामले में कांग्रेस के बागी विधायक भंवरलाल शर्मा के खिलाफ राजद्रोह का मुकदमा वापस ले लिया है। स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) ने मंगलवार को हाईकोर्ट में विधायक भंवरलाल शर्मा की ओर से दायर याचिका में कहा कि विधायकों की खरीद फरोख्त केस में राजद्रोह का मामला नहीं बनता है। यह राजद्रोह का केस नहीं है। ऐसे में विधिक विशेषज्ञों की राय लेकर पिछले दिनों एसओजी में दर्ज हुए तीन मुकदमों से धारा 124 ए हटा ली गई है।
दरअसल, भंवरलाल शर्मा ने हाईकोर्ट में याचिका दर्ज कर कहा था कि उन्हें एसओजी पर विश्वास नहीं है, इसलिए इस मामले की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) से कराई जाए। एसओजी को यह भी जानकारी मिली थी कि राजद्रोह से जुड़ा मामला होने के कारण एनआइए इसे अपने पास लेने पर विचार कर रही है। एनआइए के पास मामला पहुंचने का मतलब था, पूरा प्रकरण केंद्र सरकार के हाथ में जाना। इस डर को देखते हुए एसओजी ने मंगलवार को हाईकोर्ट में अपने कदम पीछे खींच लिए। एसओजी ने कहा कि अब इस मामले की जांच भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) जांच कर रही है, इसलिए यह केस वहीं ट्रांसफर कर दिया जाए।
इसके साथ ही एसओजी ने विधायकों की खरीद-फरोख्त मामले में कथित ऑडियो की प्रारंभिक जांच के बाद केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, कांग्रेस के बागी विधायक भंवरलाल शर्मा व विश्वेंद्र सिंह के साथ ही मध्यस्थ की भूमिका निभाने वाले संजय जैन की अवाज के नमून लेने से भी इन्कार कर दिया। एसओजी ने कहा कि अब वह इनकी आवाज के नमूने नहीं लेना चाहती है। इससे पहले एसओजी शेखावत, शर्मा, विश्वेंद्र व जैन की आवाज के नमूने लेने के लिए दबाव बना रही थी। इस मुद्दे को लेकर कोर्ट भी पहुंची थी, लेकिन मंगलवार की सुनवाई में एसओजी ने अपने कदम पीछे खींच लिए।
कोर्ट में रखा पक्ष
जस्टिस सतीश शर्मा की एकलपीठ में एसओजी की ओर से वकील सिद्धार्थ लूथरा ने कहा कि ये मामला पीसी एक्ट (प्रिविएंशन ऑफ करप्शन एक्ट) के तहत आता है। लिहाजा, इन मुकदमों में अनुसंधान भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ही कर सकती है। ऐसे में पिछले दिनों एसओजी में दर्ज हुए इन तीनों एफआइआर को एसीबी में भेजा जाएगा। एसओजी की ओर से अनुसंधान अधिकारी एडिशनल एसपी धर्मेंद्र यादव सहित अन्य पुलिस अधिकारी हाइकोर्ट में उपस्थित हुए थे। विधायक शर्मा की तरफ इस मुकुल रोहतगी ने पैरवी की ।
यह है मामला
उल्लेखनीय है कि 16 जुलाई को तीन ऑडियो वायरल हुए थे। कांग्रेस नेताओं का कहना था कि इन ऑडियो में गहलोत गुट के विधायकों की खरीद-फरोख्त करने का दावा किया गया था। सरकारी मुख्य सचेतक महेश जोशी की तरफ से वायरल ऑडियो टेप मामले में गजेंद्र सिंह शेखावत, शर्मा और संजय जैन के खिलाफ आइपीसी 124 ए (राजद्रोह) और 120 बी (आपराधिक षड्यंत्र रचने) के तहत मामला 17 जुलाई को दर्ज करवाया गया था।इस संबंध में दो एफआइआर दर्ज की गई थी। विधायक भंवरलाल शर्मा ने करीब छह दिन पहले हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी। इसमें उनके खिलाफ एसओजी में दर्ज एफआइआर को चुनौती देते हुए इन्हें रद करने के लिए याचिका लगाई गई थी।
इसी याचिका की मंगलवार सुनवाई के दौरान एसओजी की ओर से की गई जांच में इन एफआइआर में राजद्रोह का केस नहीं बनने का हवाला दिया गया। इससे पहले एक एफआइआर पुलिस इंस्पेक्टर विजय सिंह राय की तरफ से विधायकों की खरीद फरोख्त मामले में अशोक सिंह और भरत मालानी के खिलाफ भी दर्ज की गई थी। इसमें इन दोनों पर राजस्थान सरकार को गिराने का षड्यंत्र रचते हुए विधायकों की खरीद-फरोख्त का आरोप लगाया गया था।