कमला हेरिस यदि बनती हैं US की उपराष्ट्रपति तो जानें- कैसा रहेगा भारत के प्रति उनका रुख
नई दिल्ली। कमला देवी हैरिस को साउथ इंडियन खाना खास तौर पर पसंद है। उन्हें एक भारतीय मां की बेटी पर बेहद गर्व है और यही वजह है कि अपने राजनीतिक कैरियर के हर भाषण में अपनी मां श्यामला गोपालन का जिक्र करना नहीं भूलती। वह अपनी नाना-नानी (मां के परिवार) के भी काफी करीब रही हैं। किशोरवय होने तक तकरीबन हर वर्ष छुट्टियों में कमला व उनकी छोटी बहन माया हैरिस तमिलनाडु अपने ननिहाल आया करती थी। यही वजह है कि वह लगातार हिंदू मंदिरों में जाती रही हैं। लेकिन इसका क्या यह अर्थ निकाला जाए कि अगर वह नवंबर, 2020 में होने वाले चुनाव में उपराष्ट्रपति चयनित होती हैं तो भारत के प्रति उनकी नीतियां ज्यादा लचीली होंगी। इसका सीधा सा जवाब है नहीं। हैरिस ने पूर्व में भी दिखाया है कि जब मुद्दों की बात होती है तो वह अपनी पार्टी की नीतियों से एक इंच भी टस से मस नहीं होती। एक बार तो वो भारतीय विदेश नीति नियामकों को फटकार भी लगा चुकी हैं।
विदेश मंत्री जयशंकर से असहमति जता चुकी हैं कमला देवी हैरिस
मामला पिछले वर्ष का है जब भारत ने जम्मू व कश्मीर से धारा 370 हटाने का फैसला किया था। इसको लेकर अमेरिकी राजनीतिक सर्किल में मिली जुली प्रतिक्रिया हुई थी। दिसंबर, 2019 में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अमेरिका की यात्रा की थी जहां उनकी विदेश मंत्री माइकल पोम्पिओ के अलावा कई राजनेताओं से अलग अलग मुलाकात होनी तय थी। एक मुलाकात विदेश मामलों की संसदीय दल से होनी थी जिसमें भारतीय मूल की सांसद प्रमिला जयपाल भी सदस्य थी। लेकिन भारतीय विदेश मंत्री ने यह बैठक रद्द कर दी। आधिकारिक तौर पर समय का अभाव बताया गया लेकिन असली वजह यह थी कि जयपाल कश्मीर से धारा 370 हटाने, सीएए जैसे मुद्दों पर भारतीय नीति की प्रखर आचोलना कर रही थी। सुश्री जयपाल ने अमेरिका की हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स में कश्मीर को लेकर एक निंदा प्रस्ताव भी पेश किया था। बाद में जयशंकर ने यह भी कहा कि, उनकी जयपाल से मिलने में कोई भी दिलचस्पी नहीं है।
आव्रजन के मुद्दे पर राष्ट्रपति ट्रंप की कड़ी नीतियों की आलोचक
भारतीय विदेश मंत्री के इस फैसले का हैरिस ने बेहद कड़े शब्दों में भर्त्सना की। उन्होंने कहा कि कि यह किसी भी विदेशी सरकार का काम नही है कि वह कैप्टिल हिल (अमेरिकी सरकार का कार्यालय) की बैठक में कौन शामिल होता है और कौन नहीं। मुझे खुशी है कि कई अमेरिकी सांसदों ने इसका विरोध किया है। हैरिस लोकतांत्रिक मुल्यों और धार्मिक एकता को लेकर काफी मुखर रही हैं और इस संबंध में विपरीत नीति अख्तियार करने वाले देशों की आलोचना करती रही हैं। इसके बावजूद हैरिस आव्रजन के मुद्दे पर राष्ट्रपति ट्रंप की कड़ी नीतियों की आलोचक रही हैं और मानती हैं कि अमेरिका को विश्व की सबसे बड़ी इकोनॉमी बनाने में दूसरे देशों से आये लोगों की अहम भूमिका रही है। दूसरी तरफ ट्रंप भारत के साथ बेहतर रिश्तों की बात करते हैं लेकिन भारतीय कामगारों को अमेरिका में जाने की राह में कई तरह की रुकावटें भी डाल रहे हैं।
भारतीय मूल के मतदाताओं को लुभाने की कोशिश
अमेरिका की मौजूदा विपक्षी दल डेमोक्रेट की तरफ से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार जो बिडेन ने उपराष्ट्रपति पद के लिए भारतीय-अफ्रीकी मूल की कैमला हैरिस का चयन किया है। हैरिस पिछले वर्ष की शुरुआत तक राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी की कोशिश में जुटी थी। उनके नाम की घोषणा कर बिडेन ने आगामी चुनाव के समीकरण को काफी दिलचस्प बना दिया है। पिछले चुनाव में भारतीय मूल के मतदादाताओं ने आम तौर पर रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप का समर्थन किया था। डेमोक्रेट की तरफ से भारतीय मूल के मतदाताओं को लुभाने की लगातार कोशिश हो रही है।
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