उत्तर प्रदेश पुलिस की अपराधियों पर टूट पड़ो रणनीति आई काम, सात माह में गिरा क्राइम का ग्राफ
लखनऊ। कोरोना वायरस के संक्रमण की बढ़ती रफ्तार से जंग के बीच उत्तर प्रदेश पुलिस ने कानून-व्यवस्था के मोर्चे को डटकर संभाला है। सुरक्षा-व्यवस्था की चुनौती के बीच पुलिस प्रशासन की मुस्तैदी से हत्या और अन्य संगीन घटनाओं का ग्राफ भी गिरा है। इस साल एक जनवरी से 31 जुलाई के बीच हुई घटनाओं की बीते वर्षों से तुलना की जाए तो जघन्य अपराधों में आई कमी हौसला बढ़ाने वाली है। पिछले वर्ष के मुकाबले अबकी सात महीनों में हत्या की 172 घटनाएं कम हुई हैं।
उत्तर प्रदेश में वर्ष 2019 में हत्या की 2204 घटनाएं पुलिस डायरी का हिस्सा बनी थीं, जबकि इस वर्ष सात माह में हत्या की 2032 घटनाएं दर्ज हुई हैं। इसी तरह पिछले वर्ष की तुलना में इस बार डकैती की 30 और लूट की 587 घटनाएं कम हुई हैं। दुष्कर्म के मामलों में अंकुश लगाने में भी बड़ी सफलता मिली है। पिछले वर्ष की तुलना में इस बार दुष्कर्म का ग्राफ भी काफी कम हुआ है। दुष्कर्म के मामले में 476 केस कम हुए हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपराध व अपराधियों के विरुद्ध जीरो टॉलरेंस की नीति के तहत पुलिस को कार्रवाई के निर्देश दिए थे। साथ ही महिला अपराधों पर अंकुश के कड़े निर्देश दिए गए थे।
पुलिस ने भी बदमाशों पर टूट पड़ो की रणनीति के तहत ही लगातार कदम बढ़ाए हैं। कोरोना वायरस के खिलाफ जंग के अलावा पांच अगस्त को अयोध्या में श्रीराम मंदिर के भूमि पूजन, स्वतंत्रता दिवस से लेकर पूर्व में अन्य महत्वपूर्ण मौकों पर शांति-व्यवस्था कायम रखने में खरी उतरी पुलिस ने अपनी मुस्तैदी से अपराधियों के हौसले पस्त किए हैं। अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी ने बीते दिनों जघन्य घटनाओं से लेकर आपसी विवाद के मामलों तक में प्रभावी कार्रवाई के कड़े निर्देश दिए थे।
आंकड़े दे रहे गवाही
- वर्ष 2016 : हत्या के 2762, डकैती के 149, लूट के 2282 व दुष्कर्म के 1692 मामले आए सामने।
- वर्ष 2019 : हत्या के 2204, डकैती के 68, लूट के 1379 व दुष्कर्म के 1692 मामले आए सामने।
- वर्ष 2020 : हत्या के 2032, डकैती के 38, लूट के 792 व दुष्कर्म के 1216 मामले आए सामने।
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