यूपी में कानून व्यवस्था से नाखुश भाजपा के ही विधायक, सोशल मीडिया पर खोल रखा है मोर्चा
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में शासन के अफसर जहां तुलनात्मक आंकड़े साधने-संभालने में जुटे हैं, वहीं कानून व्यवस्था के खिलाफ विपक्ष के साथ सत्ताधारी दल के विधायकों ने भी सुर मिलाना शुरू कर दिया है। कुछ समय में ऐसी कई घटनाएं हो चुकीं, जिससे भाजपा विधायकों की नाराजगी सामने आ गई। ‘अब विधायकों को भी यूपी छोड़ना पड़ेगा’ गोपामऊ से भाजपा विधायक श्याम प्रकाश की इस तीखी टिप्पणी जैसी ही कई पोस्ट विपक्ष को जहां चटखारे का जरिया दे रही हैं तो सरकार के लिए भी अपनों की बेरुखी से सिरदर्द बढ़ना लाजिमी है।
कुछ विधायक तो अपने तीखे बयानों को लेकर अक्सर चर्चा में रहते हैं, लेकिन अब एक के बाद एक भाजपा नेता सोशल मीडिया पर कानून व्यवस्था को लेकर अपनी नाखुशी जाहिर कर रहे हैं। मसलन, अलीगढ़ के गोंडा थाने में इगलास सीट से भाजपा विधायक राजकुमार सहयोगी के साथ मारपीट की घटना के बाद मामला बहुत गर्माया। विधायक श्याम प्रकाश ने सोशल मीडिया पर जुबानी जंग में पुलिस पर सीधा हमला बोला और लिखा कि ‘लगता है कि अब अपराधियों के साथ विधायकों को भी यूपी छोड़ना पड़ेगा। डेढ़ साल ही बचा है, नेक सलाह के लिए शुक्रिया। अभी तक था ठोंक देंगे, अब आया तोड़ देंगे।’
अलीगढ़ में विधायक के साथ हुई घटना के बाद सुलतानपुर की लंभुआ सीट से भाजपा विधायक देवमणि द्विवेदी ने अलीगढ़ पहुंचकर डीएम व एसएसपी से वार्ता भी की। उन्होंने भी पुलिस की कार्यशैली पर बड़े सवाल उठाए। द्विवेदी ने भाजपा सरकार के तीन साल के कार्यकाल में ब्राह्मण उत्पीड़न पर सवाल उठाए। उनका विधानसभा में भेजा गया पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था, जिसमें ब्राह्मणों के साथ हुई घटनाओं में की गई कार्रवाई को लेकर कई सवाल शामिल थे। इस मुद्दे को लेकर गरमाई राजनीति में भाजपा विधायक ने अपनी ही सरकार के सामने मुश्किलें खड़ी कर दी थीं।
गोरखपुर से भाजपा विधायक डॉ.राधामोहन दास अग्रवाल ने तो बीते दिनों ट्वीट कर अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी व डीजीपी हितेश चंद्र अवस्थी पर ही सवाल खड़े कर दिए। ट्वीट कर कहा था कि ‘पुलिस का इकबाल खत्म होता जा रहा है।
अपर मुख्य सचिव गृह व डीजीपी अपने दायित्व के निर्वहन में पूरी तरह से असफल सिद्ध हुए हैं।’ इतना ही नहीं, उन्होंने ट्वीट में सरकार को अपनी छवि बचाने के लिए दोनों अफसरों को पद से हटाने की नसीहत तक दे डाली थी। हालांकि बाद में ट्वीट को डिलीट कर दिया था।
इसे लेकर एक ट्वीट के जवाब में डॉ.अग्रवाल ने लिखा था कि ‘यह लोकतांत्रिक लड़ाई है बच्चों, जो पार्टी के साथ विश्वासघात किए बिना, पार्टी में रहते हुए नागरिकों को न्याय दिलाने के लिए लड़ी व जीती जाती है। इसके लिए राजनीतिक खतरा लेना पड़ता है। विधानसभा में भाजपा और सड़क पर नागरिकों के लिए लड़ना होता है।’ डॉ.अग्रवाल के इस ट्वीट में राजनीतिक खतरे के कई निहतार्थ निकाले गए।
डॉ. अग्रवाल ने लखीमपुर में हत्या की एक वारदात को लेकर पुलिस के विरुद्ध सोशल मीडिया पर मोर्चा खोला था। तब उन्होंने अपर मुख्य सचिव गृह व डीजीपी के उनका फोन न उठाने का दर्द भी साझा किया था। इतना ही नहीं, कुछ दिनों पूर्व बरेली के विधायक राजेश मिश्रा उर्फ पप्पू भरतौल ने डीआइजी को पत्र लिखकर टॉप 10 अपराधियों के साथ टॉप 10 कुख्यात पुलिसकर्मियों की सूची भी जारी किए जाने की मांग कर डाली। ऐसे ही कई अन्य विधायक व भाजपा नेता पुलिस पर सीधे निशाना साधते रहे हैं।
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