इस बार मुहर्रम पर नहीं निकलेगा ताजियों का जुलूस, सुप्रीम कोर्ट ने ठुकराई मांग
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने गुरुवार को मुहर्रम की ताजिया (Muharram procession) निकालने की अनुमति देने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि इस मांग को नहीं माना जा सकता क्योंकि इससे लोगों का स्वास्थ्य और उनकी जिंदगी जोखिम में पड़ सकती है। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि मुहर्रम के मौके पर ताजिया का जुलूस निकालने की अनुमति यदि दी जाती है और संक्रमण फैलता है तो इसके लिए समुदाय विशेष को जिम्मेवार माना जाएगा।
संक्रमण फैला तो विशेष समुदाय होगा जिम्मेवार
कोर्ट ने लखनऊ के याचिकाकर्ता से इलाहाबाद हाई कोर्ट में अपनी याचिका ले जाने को कहा। मुहर्रम पर ताजिया का जुलूस निकालने को लेकर अनुमति मांगने वाली याचिका शिया नेता सैयद कल्बे जवाद (Shia leader Syed Kalbe Jawad) ने दर्ज कराई थी। आइएएनएस के अनुसार, हजरत निजामुद्दीन औलिया दरगाह शरीफ के प्रमुख कासिफ निजामी ने कहा है कि दिल्ली में ताजियों के जुलूस निकालने का का सिलसिला मुगलकाल से ही चला आ रहा है। इस बार 700 साल में पहली बार मुहर्रम के मौके पर यह जुलूस नहीं निकाला जाएगा।
जोखिम में पड़ सकती है लोगों की जान
चीफ जस्टिस एस ए बोबडे और जस्टिस एएस बोपन्ना व वी रामासुब्रह्मण्यम इस मामले की सुनवाई कर रहे थे। उन्होंने कहा कि कोविड-19 के कारण देश में जो हालात है उसके मद्देनजर इस ताजिया को निकालने की अनुमति नहीं दी जा सकती है इससे लोगों की जिंदगी खतरे में पड़ सकती है। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मामले की सुनवाई कर रही जजों की बेंच ने कहा, ‘आप ताजिया की जुलूस निकालने की मांग कर रहे हैं और यदि हम इसकी अनुमति दे देते हैं तो माहौल अस्त-व्यस्त हो जाएगा। कोविड-19 संक्रमण को फैलाने के लिए विशेष समुदाय को निशाना बनाया जाएगा। हम वह नहीं चाहते हैं। कोर्ट के तौर पर हम लोगों की जिंदगी को जोखिम में नहीं डाल सकते।’ मुहर्रम के दिन मुस्लिम समुदाय हुसैन की शहादत को याद करता है और मातम के तौर पर ताजिये के साथ जूलूस निकालने का रिवाज है।
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