राजस्थान में जारी सियासी घमासान, स्पीकर सीपी जोशी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की

जयपुर। राजस्थान का सियासी संग्राम अब सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है। सियासी संग्राम के 13वें दिन बुधवार को राजस्थान के स्पीकर डॉ.सी.पी.जोशी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। सचिन पायलट मामले मे राजस्थान हाईकोर्ट के रोक आदेश के खिलाफ विधानसभा स्पीकर ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की। हाईकोर्ट आदेश को चुनौती दी है।

 राजस्थान अयोग्यता मामल

राजस्थान विधानसभा स्पीकर डॉ. सी.पी.जोशी की तरफ से सुप्रीम कोर्ट एसएलपी दर्ज की है। सचिन पायलट मामले मे राजस्थान हाईकोर्ट के रोक आदेश के खिलाफ विधानसभा स्पीकर ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की। इसके लिए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल के माध्यम से विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दायर की।

डॉ.जोशी ने कहा विधानसभा और न्यायपालिका दोनों कॉन्स्टिट्यूशनल ऑथोरिटी में टकराव न हो, इसलिए उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर करने का फैसला किया। उन्होंने कहा कि संविधान ने सबके काम और अधिकार तय किए हैं। स्पीकर होने के नाते  मैने 19 विधायकों को कारण बताओ नोटिस जारी किया। केवल नोटिस जारी किया, कोई निर्णय नहीं दिया। उन्होंने कहा कि अगर अथॉरिटी कारण बताओ नोटिस जारी नहीं करेगी तो उसका काम क्या होगा।

उन्होंने कहा कि मैं नियमों से चलने वाला स्पीकर हूं। पहले हाईकोर्ट ने कहा कि 21 जुलाई तक मुझे कोई निर्णय नहीं करना तो मैने नहीं किया, फिर मंगलवार को हाईकोर्ट ने कहा कि 24 जुलाई तक कोई निर्णय मुझे नहीं करना तो वो भी  मैं नहीं करूंगा। उन्होंने कहा कि कोर्ट ने जो भी निर्णय दिया उसका मैं सम्मान करता हूं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि अतिक्रमण होने दिया जाए। विधानसभा के नियमों के तहत किसी आवेदन कर सुनवाई का अधिकार स्पीकार को है। उन्होंने कहा कि स्पीकर के निर्णय के बाद ही कोर्ट में चैलेंज किया जा सकता है। लेकिन जिन विधायकों को नोटिस दिया गया वे निर्णय से पहले ही कोर्ट में पहुंच गए।

अयोग्य ठहराने का अधिकार स्पीकर को है

डॉ. जोशी ने कहा कि संसदीय लोकतंत्र प्रणाली में सबका रोल डिफाइंड है। आया राम गया राम संस्कृति रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने साल 1992 में निर्देश दिए थे, जिसमें दलबदल के तहत अयोग्य ठहराने का अधिकार स्पीकर को दिया गया है। इस प्रक्रिया के बीच में किसी को हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है। साल, 1992 में सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने साफ कर दिया था कि दलबदल कानून के तहत अयोग्य ठहराने का अधिकार स्पीकर को है। फैसला करने से पहले हस्तक्षेप नहीं हो सकता। लेकिन, इस स्टेज पर फैसले से पहले ही हमारे साथी चैलेंज करना चाहते हैं।

डॉ. जोशी ने कहा कि इस स्टेज पर हस्तक्षेप करना संसदीय लोकतंत्र के लिए खतरा है। डॉ. जोशी ने कहा कि मैंने कोर्ट का सम्मान किया है, लेकिन हमारे साथी नोटिस का जवाब देने के लिए स्पीकर के पास आना ही नहीं चाहते। वे सीधे कोर्ट चले गए। यह लोकतंत्र के लिए खतरा है। स्पीकर के नोटिस के बीच में अब तक कोर्ट ने हस्तक्षेप नहीं किया है। दलबदल कानून के तहत अयोग्य ठहराने की शिकायत पर कारण बताओ नोटिस जारी करने का अधिकार स्पीकर को है, एक भी निर्णय ऐसा नहीं है, जब बीच में हस्तक्षेप किया गया हो। आगे जाकर टकराव के हालात बन सकते हैं, इसीलिए मैने सुप्रीम कोर्ट जाने का फैसला किया है। मुझे उम्मीद है सुप्रीम कोर्ट इसे जल्द सुनेगा ।

गिरिराज सिंह मलिंगा को कानूनी नोटिस 

राजस्थान में जारी सियासी रार के बीच पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने कांग्रेस विधायक गिरिराज सिंह मलिंगा को कानूनी नोटिस भेजा है। मलिंगा ने सोमवार को जयपुर में मीडिया कर्मियों से कहा था कि सचिन पायलट ने भाजपा में जाने के लिए 35 करोड़ रुपये का ऑफर दिया था। पायलट ने यह पेशकश दो बार की, लेकिन मैंने मना कर दिया। मलिंगा के मुताबिक उन्होंने कहा था कि वह भाजपा में नहीं जाएंगे। इस पर मंगलवार को पायलट ने मलिंगा को कानूनी नोटिस भेजा है। पायलट का कहना है कि मलिंगा ने असत्य बात कही है। मलिंगा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत खेमे के हैं।

फैसला 24 जुलाई को

इससे पहले राजस्थान हाई कोर्ट ने विधानसभा अध्यक्ष की तरफ से सचिन पायलट समेत 19 विधायकों को जारी कारण बताओ नोटिस पर मंगलवार को सुनवाई पूरी कर ली। मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महांती और जस्टिस प्रकाश गुप्ता की खंडपीठ ने कहा कि फैसला 24 जुलाई को सुनाया जाएगा। तब तक विधानसभा अध्यक्ष कोई कार्रवाई नहीं करें। इसे पायलट खेमे के लिए राहत माना जा रहा है। मंगलवार को सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों के वकीलों ने खूब जिरह की। सचिन पायलट खेमे की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे और मुकुल रोहतगी ने पैरवी की, तो स्पीकर की तरफ से कांग्रेस नेता और वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषषेक मनु सिंघवी ने दलीलें रखीं।

बुला सकते हैं विधानसभा सत्र 

माना जा रहा है कि कोर्ट के तीन दिन बाद फैसला सुनाने से गहलोत और पायलट खेमों को जोड़ तोड़ के लिए समय मिलेगा। इस दौरान गहलोत बागी विधायकों को तोड़ने का प्रयास करेंगे। वह विधानसभा सत्र भी बुला सकते हैं। तब व्हिप जारी किया जाएगा, जिसका उल्लंघन कर सदन की कार्यवाही में शामिल नहीं होने पर विधायक की सदस्यता समाप्त हो सकती है। सत्र बुलाए जाने पर बागी विधायकों को सदन में आना पड़ेगा। वहीं, पायलट को कांग्रेस आलाकमान में अपने शुभचितकों के साथ बातचीत करने का मौका मिलेगा।

मुख्य सचेतक महेश जोशी की शिकायत पर विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने पायलट समेत 19 विधायकों को 14 जुलाई को नोटिस जारी कर पूछा था कि क्यों नहीं आपको विधानसभा से अयोग्य घोषित कर दिया जाए। इस नोटिस के खिलाफ पायलट समेत 19 विधायकों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।

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