कांग्रेस में बड़ा फेरबदल, गुलाम नबी आजाद समेत पांच महासचिव हटाए गए; राहुल के करीबियों को संगठन में मिली जगह
नई दिल्ली। कांग्रेस में चिट्ठी विवाद के बाद हुए पहले बड़े फेरबदल में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पत्र लिखने वाले पार्टी नेताओं पर सख्ती का डंडा नहीं चलाया है। इसके उलट सियासी परिपक्वता दिखाते हुए पार्टी को टूट से बचाने के लिए राहुल गांधी के समर्थक नए नेताओं के साथ पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को भी संगठन और कांग्रेस की नीति निर्धारण इकाई में जगह दी है। कांग्रेस के नए अध्यक्ष का चुनाव कराने के लिए पार्टी की पांच सदस्यीय केंद्रीय चुनाव समिति का गठन भी कर दिया गया है।
इस बड़े बदलाव में गुलाम नबी आजाद, अंबिका सोनी और मल्लिकार्जुन खड़गे समेत पांच महासचिवों को हटाया गया है। इनकी जगह रणदीप सुरजेवाला, तारिक अनवर और जितेंद्र सिंह महासचिव बनाए गए हैं। विवादित पत्र लिखने वालों में शामिल जितिन प्रसाद और राजीव शुक्ल को भी पहली बार प्रभारी बनाते हुए राज्यों का प्रभार सौंपा गया है। राहुल गांधी के करीब सचिन राव को कार्यसमिति में बतौर विशेष आमंत्रित सदस्य शामिल किया गया है। गुलाम नबी आजाद और आनंद शर्मा को कांग्रेस की शीर्ष इकाई कार्यसमिति में बरकरार रखते हुए और जितिन प्रसाद को प्रमोशन देकर हाईकमान ने विवाद के अध्याय को अपनी तरफ से बंद करने का संदेश देने की कोशिश भी की है।
छह सदस्यों की एक विशेष समिति का गठन
कांग्रेस संगठन में बदलाव से जुड़ी चिट्ठी को लेकर हुए बवाल के बाद सोनिया गांधी ने कार्यसमिति में दिए गए आश्वासन के अनुरूप छह सदस्यों की एक विशेष समिति का भी गठन किया है। अगले एआइसीसी सत्र तक, जिसमें पार्टी के नए अध्यक्ष का चुनाव होना है, यह समिति कांग्रेस अध्यक्ष के कामकाज में विशेष सहायता करेगी। हालांकि, इस समिति में पत्र विवाद से जुडे़ किसी नेता को नहीं रखा गया है। एके एंटनी, अहमद पटेल, अंबिका सोनी, केसी वेणुगोपाल, मुकुल वासनिक और रणदीप सुरजेवाला समिति के सदस्य बनाए गए हैं। हाईकमान ने केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण के गठन से असंतुष्ट नेताओं के साथ पार्टी कैडर को यह संदेश जरूर दिया है कि अगले छह महीने के भीतर पार्टी के नए अध्यक्ष का चुनाव कर लिया जाएगा। मधुसूदन मिस्त्री को इस चुनाव प्राधिकरण का अध्यक्ष बनाया गया है तो राजेश मिश्रा, कृष्णा बायरागौड़ा, एस ज्योतिमणि और अरविंदर सिंह लवली इसके सदस्य बनाए गए हैं।
हरीश रावत को पंजाब का महासचिव का प्रभार सौंपा गया
खड़गे, आजाद, अंबिका के अलावा हटाए गए पांच महासचिवों में मोतीलाल वोरा और लुजिनो फलेरियो शामिल हैं। आजाद ने पत्र लिखने के बाद खुद भी महासचिव पद से मुक्त किए जाने की बात कही थी। इनकी जगह बने तीन नए महासचिवों में तारिक अनवर को केरल और लक्षद्वीप, रणदीप सुरजेवाला को कर्नाटक और जितेंद्र सिंह को असम का जिम्मा सौंपा गया है। इसके अलावा अनुग्रह नारायण सिंह, आशा कुमारी, गौरव गोगोई और राम चंद्र खुंटिया को राज्यों के प्रभारी पद से हटा दिया गया। हरीश रावत को बतौर महासचिव पंजाब का प्रभार सौंपा गया है।
राजीव शुक्ल को भी दी गई जिम्मेदारी
जबकि स्वतंत्र रूप से प्रभारी बने जितिन प्रसाद को पश्चिम बंगाल जैसे अहम राज्य के साथ अंडमान-निकोबार का प्रभारी बनाया गया है। राजीव शुक्ल को हिमाचल प्रदेश, पवन बंसल को बतौर प्रभारी मोतीलाल वोरा की जगह कांग्रेस मुख्यालय के प्रशासन का जिम्मा सौंपा गया है। कर्नाटक के नेता दिनेश गुंडूराव को तमिलनाडु, पुडुचेरी और गोवा, राहुल गांधी के करीबी मणिक्कम टैगोर को तेलंगाना, चेल्लाकुमार को ओडिशा, एचके पाटिल को महाराष्ट, देवेंद्र यादव को उतराखंड, मनीष चतरथ को अरुणाचल प्रदेश, भक्तचरण दास को मिजोरम व मणिपुर और कुलजीत नागरा को सिक्किम, नगालैंड और त्रिपुरा का प्रभारी बनाया गया है।
पार्टी की शीर्ष इकाई कांग्रेस कार्यसमिति में संतुलन बनाए रखने के लिए सोनिया गांधी ने जहां कुछ वरिष्ठ नेताओं को बनाए रखा है वहीं राहुल के करीबी कई युवा चेहरों भी इसमें जगह दी है। सचिन राव, मणिक्कम टैगोर, सुस्मिता देव जैसे नाम इसमें प्रमुख हैं। दिग्विजय सिंह और सलमान खुर्शीद को दोबारा बतौर विशेष आमंत्रित सदस्य कार्यसमिति में जगह मिली है।
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