यूपी में बढ़ा प्रियंका वाड्रा का कद, हाईकमान ने संगठन में फेरबदल से साधा एक तीर से कई निशाना
लखनऊ। पाले गहरे होते जा रहे थे, सवाल साख पर खड़ा था। दिल्ली में फटे लेटर बम ने उस उत्तर प्रदेश में कांग्रेस संगठन पर खरोंच डालना शुरू कर दिया था, जिससे प्रियंका वाड्रा के रूप में सीधे गांधी परिवार की नाक जुड़ चुकी है। आखिरकार हाईकमान ने संगठन में बड़े फेरबदल के साथ कई तीर चलाकर ‘एक निशाना’ बड़ी सहजता से साधा है। उत्तर प्रदेश के आठ नेताओं को बड़ी जिम्मेदारी देकर प्रभारी महासचिव प्रियंका के यूपी का कद संगठन में बढ़ाया है। साथ ही प्रमोद तिवारी, जितिन प्रसाद, राजेश मिश्रा जैसे प्रमुख नेताओं को सम्मान देकर यहां तेज हुई ब्राह्मणों की सियासत में भी बड़ा दांव चला है।
पिछले दिनों पार्टी में हुई खींचतान के बाद शुक्रवार को संगठन की मजबूती के प्रयास में अहम कदम उठाए गए हैं। पूर्व सांसद प्रमोद तिवारी को पहली बार केंद्रीय कार्यसमिति का स्थायी सदस्य बनाया गया है। वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री कमलापति त्रिपाठी और पूर्व राज्यपाल स्व. रामनरेश यादव के बाद पूर्व सांसद राजेश मिश्रा ही प्रदेश के ऐसे नेता हैं, जिन्हें केंद्रीय चुनाव समिति में स्थान मिला है
वहीं, उत्तर प्रदेश में ब्राह्मणों की सियासत में सक्रिय हुए पूर्व मंत्री जितिन प्रसाद कुछ दिन से हाशिये पर नजर आ रहे थे लेकिन अब वह न सिर्फ केंद्रीय कार्यसमिति के विशेष आमंत्रित सदस्य हैं, बल्कि केंद्र शासित प्रदेश अंडमान-निकोबार के साथ ही पश्चिम बंगाल जैसे चुनौतीपूर्ण और अहम राज्य के प्रभारी बनाए गए हैं। पार्टीजन के अनुसार, अमूमन कांग्रेस बड़े राज्यों में राष्ट्रीय महासचिव स्तर के पदाधिकारियों को ही प्रभारी बनाती रही है। अब जितिन पर भरोसा जताकर तमाम कयासों को विराम दिया गया है।
यूपी में दलितों सियासत में सक्रिय सांसद पीएल पुनिया के साथ ही पूर्व मंत्री आरपीएन सिंह, राजीव शुक्ला और विवेक बंसल को भी अलग-अलग राज्यों का प्रभारी बनाया गया है। इनमें पुनिया, आरपीएन और राजीव शुक्ला पहले भी प्रभारी रहे हैं, जबकि विवेक बंसल को नई जिम्मेदारी मिली है। सलमान खुर्शीद सीडब्ल्यूसी के स्थायी सदस्य यथावत रखे गए हैं। पार्टी नेता मानते हैं कि प्रदेश के नेताओं का कद बढ़ने का यूपी के विधानसभा चुनाव में भी लाभ मिल सकता है, क्योंकि उनके समर्थक वर्ग में सकारात्मक संदेश जाएगा।
इसी तरह चार ब्राह्मण नेताओं को सम्मान देकर कांग्रेस अपने पुराने सवर्ण वोटबैंक की ओर भी स्टीयरिंग घुमाती नजर आ रही है। चूंकि प्रियंका वाड्रा उत्तर प्रदेश की प्रभारी हैं, इसलिए यह सारे फैसले यहां उनकी विधानसभा चुनाव की बिसात को भी काफी मजबूती दे सकते हैं।
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