उइगर महिलाओं ने सुनाई चीन के मानवाधिकार हनन की दास्तां, बच्चा पैदा करने पर भी है शर्त
लंदन। चीन के कब्जे वाले शिनझियांग स्वायत्त क्षेत्र के उइगर मुसलमानों के उत्पीड़न के रोंगटे खड़े करने वाले किस्से अब दुनिया के सामने आ रहे हैं। अब मानवाधिकार शिविरों में उइगर और टर्की मूल के अन्य समुदायों के साथ चीन में किए जा रहे जुल्मों की दास्तां वह खुद सुना रहे हैं।
एक मानवाधिकार संगठन की हालिया रिपोर्ट के अनुसार उइगर महिलाओं को अपना गर्भपात कराना पड़ता है कि अगर उन्होंने चीन की कम्यूनिस्ट सरकार के नियमों के अनुरूप गर्भधारण नहीं किया। चीन में उइगर महिलाओं को अब पहली संतान के जन्म के बाद दूसरी के लिए तीन या चार साल का अंतर रखना पड़ता है।
पूर्व बंधकों में से एक जुमरेत दाउत ने कहा कि हम सबको अज्ञात दवाइयां दी जाती थीं। इन दवाओं ने हम सभी महिलाओं को एकदम शिथिल बना दिया और बाद में पाया कि मासिक धर्म एकदम बंद हो गया और फिर वापस कभी शुरू नहीं हुआ। हम सबको हफ्ते में एक अज्ञात इंजेक्शन भी लगाया जाता था।
अमेरिका के वर्जीनिया में रहने वाली एक उइगर महिला जिबा मूरत ने बताया कि उसके पिता डॉ.गुलशन अब्बास चीन सरकार के बंधक हैं। जिया की मां लापता हैं और वह नहीं जानतीं कि वह लोग उनकी मां को 11 सितंबर, 2018 को किस शिविर में लेकर गए। वैश्विक महिलाओं के मुद्दों को देखने वाली केली क्यूरी ने कहा कि शिनझियांग प्रांत में मूल मानवीय पहलुओं का भी ध्यान नहीं रखा जा रहा है।
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