Unlock 5.0: पर्यटकों के लिए खुली योग-ध्यान और साधना का केंद्र चौरासी कुटि, जानें- इससे जुड़ी खास बातें

ऋषिकेश। वैश्विक महामारी कोरोना के कारण पिछले छह माह से बंद विश्व विख्यात महर्षि महेश योगी द्वारा स्थापित चौरासी कुटी (शंकराचार्य नगर) को पर्यटकों के लिए खोल दिया गया है। जिला प्रशासन के आदेश मिलने के बाद शुक्रवार को डिप्टी डायरेक्टर राजाजी टाइगर रिजर्व पुनीत तोमर ने पूजा अर्चना के पश्चात चौरासी कुटी के दरवाजे पर्यटकों के लिए खोलें। इस दौरान तीन पर्यटकों ने चौरासी कुटी घूमने के लिए निर्धारित शुल्क जमा करा कर अनुमति प्राप्त की।

जानिए चौरासी कुटि के बारे में कुछ खास बातें  

महर्षि महेश योगी ने बीती सदी के साठ के दशक में तीर्थनगरी ऋषिकेश के स्वर्गाश्रम क्षेत्र में शंकराचार्य नगर की स्थापना की थी। योग साधना और ध्यान के लिए यहां उन्होंने चौरासी कुटियों का निर्माण भी किया। 15 एकड़ परिक्षेत्र में फैले वास्तुकला की अद्भुत कृतियों वाले इस नगर से महर्षि की ख्याति क्या जुड़ी कि तीर्थनगरी विदेशी पर्यटक और साधकों के लिए योग की राजधानी बन गई। वर्ष 1980 में इस क्षेत्र के राजाजी नेशनल पार्क (अब राजाजी टाइगर रिजर्व) की सीमा में आने के बाद वर्ष 1985 में इसे बंद कर दिया गया। लिहाजा, तीन दशक तक योग-ध्यान और साधना का यह केंद्र भी आम लोगों की पहुंच से दूर रहा

इन वर्षों में यह धरोहर खंडहर में तब्दील हो गई। आठ दिसंबर 2015 को राजाजी टाइगर रिजर्व ने चौरासी कुटी को नेचर ट्रेल और बर्ड वॉचिंग के लिए खोला। इसके पीछे मकसद महर्षि महेश योगी और यहां से जुड़े रहे पश्चिम के मशहूर बैंड बीटल्स ग्रुप की स्मृतियों को भी नई पहचान देना था। आज यह स्थान पर्यटन के साथ अध्यात्म का भी महत्वपूर्ण केंद्र बन चुका है। तीर्थनगरी आने वाले विदेशी सैलानी यहां आकर अपनी जिज्ञासाएं शांत करना नहीं भूलते।

गुरु को शिष्य ने दी थी एक लाख डॉलर की धनराशि दान 

चौरासी कुटिया के निर्माण को 38 सालों के लिए लीज पर ली गई भूमि के लिए महर्षि की शिष्य अमेरिकन महिला डोरिक ड्यूक ने उन्हें एक लाख डॉलर की धनराशि दान में दी थी। यहां गुफाओं के आकार में बनी चौरासी कुटियों के बीच में ध्यान केंद्र बना हुआ है। साधकों के रहने के लिए केंद्र में 135 गुंबदनुमा कुटिया भी बनी हुई हैं। अथितियों के लिए तीन मंजिला अथिति गृह, एक बड़ा सभागार, महर्षि ध्यान विद्यापीठ और महर्षि का आवास बना हुआ है। 84 कुटियों और अन्य आवासों को गंगा नदी के छोटे पत्थरों से सजाया गया है और गुफाओं की दीवारों पर इन्ही पत्थरों से 84 योग आसनों की मुद्राएं अंकित की गई हैं।

इन्होंने दिलाई नई पचान 

चौरासी कुटिया महर्षि महेश योगी और भावातीत ध्यान के कारण ही नहीं, मशहूर इंग्लिश रॉक बैंड द बीटल्स के कारण भी चर्चाओं में रही। इंग्लैंड के लिवरपूल के 4 युवकों जॉन लेनन, पॉल मैक-कार्टने, रिंगो स्ट्रार्र और जॉर्ज हैरिसन ने वर्ष 1960 में इस बैंड की स्थापना की थी। 16 फरवरी 1968 को ये युवक अपनी पत्नियों और महिला मित्र के साथ पहली बार ऋषिकेश महर्षि महेश योगी के ध्यान केंद्र में आए थे। नशे के आदी ये चारों युवक नशे के जरिये शांति तलाशने यहां आए थे, लेकिन यहां महर्षि के संपर्क में आने के बाद योग और अध्यात्म के अनुभव ने उनकी जिंदगी और जीने का नजरिया ही बदल डाला।

फेब फोर के नाम से हुए मशहूर 

करीब 45 दिन महर्षि के आश्रम में रहे बीटल्स से जुड़े ये चारों युवा ‘फेब फोर’ के नाम से मशहूर हुए। जिस नशे के जरिये फेब फोर शांति की खोज कर रहे थे, वही अब नशे की दुनिया छोड़ योग और अध्यात्म की दुनिया में इस कदर लीन हो गए कि यहां के शांत वातावरण में उन्होंने ‘ऊं शांति’ का जाप करते हुए 48 गीतों की रचना कर डाली। इन गीतों ने व्हाइट एलबम और ऐबी रोड नामक पाश्चात्य एलबम में जगह पाकर दुनियाभर में धूम मचाई। 80 के दशक में चौरासी कुटिया के राजाजी नेशनल पार्क के अधीन आने के कारण महर्षि महेश योगी यहां से चले गए।

दुनिया को अनुभवातीत ध्यान से जोड़ा 

पश्चिम में जब हिप्पी संस्कृति का बोलबाला था, तब दुनियाभर में लाखों लोग महर्षि महेश योगी के दीवाने हो रहे थे। वो महर्षि महेश योगी ही थे, जिन्हें योग और ध्यान को दुनिया के कई देशों में पहुंचाने का श्रेय दिया जाता है। उन्होंने ट्रान्सेंडैंटल मेडिटेशन (अनुभवातीत ध्यान) के जरिये दुनियाभर में अपने लाखों अनुयायी बनाए थे।

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